Tuesday, 1 January 2019

Hindutva: Phobia to Enchantment – हिंदुत्वाकर्षण


Hindutva: Phobia to Enchantment

Hindutva is the soul of Bharat (India) which is manifested through her अस्मिता  (pride), rites, conduct, culture, history, tolerance of citizens, sensitivity, and the “universal well-being of the people” approach of governance. As long as no one is afraid of India, there is no reason to be afraid of Hindutva. India does not intimidate anyone, nor does she have any malicious or aggressive feelings towards anyone. In spite of the internal friction of various social, political, philosophical and religious ideas, it is the gravitas of Hindutva which has kept all the Indians glued together under the ideology of Indianism (Hindutva).

It is the misfortune of India that overwhelmed by the ‘treacherous Jayachand’ mentality, a rogue class of media and politicians from within the country are soft-peddling a falsehood of “Hinduism-terror”. Combating such a wicked propaganda is entirely the responsibility of India, of every Indian, of each one who is for India and for every pro-India activist.

While focusing on discussing various relevant topics with media, academics and experts, India needs to support the efforts of Hindutva/ Sanatan civil society bodies to increase awareness among governments in the West and encourage such civil society bodies to engage in the development of projects and programs to counter Hindutva-fear and draw the world through ‘Hindutva-aakarshan’ (हिंदुत्वाकर्षण – allure of Hinduism).

Throttling the suggestion of non-tenable, non-existent “saffron-Terror” is a malicious propaganda, full of hypocrisy, which is a threat to the voice of tolerance and universal brotherhood, not only in India but throughout the world. Facing this crisis is possible only by promoting ‘Hindutva-aakarshan’ (हिंदुत्वाकर्षण – charm of Hinduism). Enhancing the force of ‘Hindutva-aakarshan’ (हिंदुत्वाकर्षण – magic of Hinduism) is possible only by promoting Indian values ​​and teachings of restraint and tolerance, promoting Indian culture and protecting Indian heritage. The Government of India has the duty to protect and defend the real image of India, to combat the defamation of Hinduism and to encourage dialogue between different civilizations and cultures.

Advocating all underpinnings close to the hearts of over 1.4 billion Indians of the world, Hindutva-phobia should be fought through ‘Hindutva-aakarshan’ (हिंदुत्वाकर्षण – enthralment of Hinduism) as one collective voice of India….

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Hindi version follows:

हिन्दी संस्करण आगे है:

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हिंदुत्वाकर्षण

हिंदुत्व भारत की आत्मा है जो भारत की अस्मिता, संस्कार, आचरण, संस्कृति, इतिहास, नागरिकों की सहनशीलता, संवेदनशीलता, और शासन के “सर्वजनहिताय सर्वजनसुखाय” दृष्टिकोण में इंगित और लक्षित होती है। जब तक कोई भारत से ही भयभीत न हो, उसके हिंदुत्व से भयभीत होने का कोई कारण नहीं है। भारत किसी को न तो डराता है ना ही किसी के प्रति कोई दुर्भाव या आक्रामक भाव रखता है। यह हिंदुत्वाकर्षण  बल ही है जिसने भारतीयों को विभिन्न सामजिक, राजनीतिक, दार्शनिक, धार्मिक विचारों के आंतरिक घर्षण के बावज़ूद भी भारतीयता (हिंदुत्व) के समरूपी धागे में बांध रखा है।

यह भारत का दुर्भाग्य है कि ‘जयचन्द समान’ मानसिकता से अभिभूत हो, भारत के भीतर से ही मीडिया और राजनेताओं का एक दुष्ट वर्ग “हिंदुत्व-भय” का झूठा उन्माद फैला रहा है। इस तरह के बड़े दुष्प्रचार का मुकाबला करना पूरी तरह से भारत-वर्ष की ज़िम्मेदारी है, प्रत्येक भारतीय की ज़िम्मेदारी है, प्रत्येक भारत समर्थक और भारतीयता समर्थक की ज़िम्मेदारी है।

भारत को मीडिया, शिक्षाविदों और विशेषज्ञों के साथ विभिन्न प्रासंगिक विषयों पर बातचीत करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ साथ पश्चिम में सरकारों में जागरूकता बढ़ाने के लिये हिंदुत्व/सनातन निकायों के प्रयासों का समर्थन करने की आवश्यकता है। नागरिक और समाजिक संस्थाओं को हिंदुत्व-भय के मुकाबले, हिंदुत्वाकर्षण से ओत-प्रोतयोजनाओं और कार्यक्रमों के विकास में संलग्न करने होने के लिये प्रोत्साहित करना होगा।

कपट व धूर्तता से परिपूर्ण हिंदुत्व-भय की अफ़वाह ने, न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में, सहिष्णुता और सार्वभौमिक भाईचारे की किसी भी आवाज़ के लिये एक खतरा पैदा कर दिया है और इस संकट का सामना हिंदुत्वाकर्षण  को बढ़ावा दे कर ही सम्भव है। संयम और सहनशीलता के भारतीय मूल्यों और शिक्षाओं को प्रसारित करने, भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने और भारतीय विरासत की रक्षा के लिए उसे संरक्षित करने से ही हिंदुत्वाकर्षण बल में वृद्धि सम्भव है। भारत सरकार का कर्तव्य है कि वे भारत की वास्तविक छवि की रक्षा और बचाव करे, हिन्दुत्व की मानहानि का मुकाबला करे और विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों के बीच बातचीत को प्रोत्साहित करे।

दुनिया के 140 करोड़ भारतीय दिलों में स्थित “हिंदुत्वाकर्षण”  के सभी कारकों का समर्थन करते हुए हिंदुत्व-भय को भारत की एक सामूहिक आवाज के माध्यम से लड़ा जाना चाहिए … ।

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